Patna University: पटना विश्वविद्यालय के जय प्रकाश नारायण अनुषाद भवन में गुरुवार को भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा अनुशंसित “रामतत्त्व की अवधारणा वाल्मीकि, कबीर एवं तुलसी के परिप्रेक्ष्य में” विषय पर त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।
इस अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार कि अध्यक्षता पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय कुमार सिंह द्वारा की गई, और कार्यक्रम का आयोजन स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के प्रो. लक्ष्मी नारायण द्वारा किया गया।
सेमिनार में संस्कृत विभाग की छात्राओं द्वारा स्वागत गान कि प्रस्तुति की गई और साथ ही (भारत की देवी संपदा, राष्ट्र दर्शन) नामक पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय कुमार सिंह ने विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हुए रामायण के महत्व एवं भक्तिकाल के संतो को याद किया।
साथ ही, कृषि से हम और सारा जगत है जैसी बात कहते हुए, बिहार में कृषि संस्थान का शिलान्यास (PUSA) पे प्रकाश डाला।
समारोह में आए अतिथिगण को संबोधित करते हुए बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कबीर, तुलसी और वाल्मीकि का नाम लेकर समाज में विभेद पैदा करने और रामचरितमानस व वाल्मीकि रामायण पर हो रहे आक्षेपों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमें इस पर चिंतन करना चाहिए।
समारोह के प्रथम सत्र की अध्यक्षता पूर्व कुलपति प्रो. शशिनाथ झा द्वारा की गई, जिसमे वासुदेव लाल कर्ण, धनञ्जय मिश्रा, रामसुमेर यादव व तानिया सिकदार अतिथिगण के रूप में उपस्थित रहे।
मौके पर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित प्रो. उमाशंकर शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में, महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के कुलपति प्रो. श्रेयांश द्विवेदी विशिष्ट अतिथि के रूप में, और प्रो. जयकान्त सिंह शर्मा उपस्थित रहे।सेमिनार के सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति अतुल और आध्या द्वारा की गई। वहीं, सत्र की अध्यक्षता कर रहे प्रो. शशिनाथ झा के अनुमति से प्रथम सत्र को विराम दिया गया।
Written By: Kumar Sarthak
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