बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर लगातार उंगली उठती आई है। स्कूल में शिक्षको की कमी या फिर बात हो सरकारी स्कूल में बेहतर पढ़ाई की। हालांकि, इन दिनों बिहार की शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार देखने को मिला है।
बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, केके पाठक, की कड़ी मेहनत और नेतृत्व के बावजूद, बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए नए-नए कदम उठाए जा रहे हैं। लगातार हो रहे शिक्षकों की भर्ती और साथ ही शिक्षा में लापरवाही बरतने पर सख्त कदम उठाए जाने से शिक्षा विभाग में काफी सुधार देखे जा रहे हैं।
क्या है जीतन राम मांझी की केके पाठक से मांग?
इस बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इस सुधार को सराहना करते हुए केके पाठक से एक बड़ी मांग की है।पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने X (Twitter) पर गुरुवार को एक पोस्ट करके लिखा कि ‘वैसे तो के के पाठक साहब शिक्षा के दिशा में अद्वितीय काम कर रहें हैं। पर यदि वह एक काम और कर दें तो शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार हो जाएगा।’
“मुख्य सचिव का बच्चा हो या चपरासी का, विधायक का बच्चा हो या मंत्री का, सरकार से वेतन उठाने वालों के बच्चे सरकारी स्कुल में ही पढेगें।”
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने X (Twitter) पर गुरुवार को एक पोस्ट करके लिखा कि ‘वैसे तो के के पाठक साहब शिक्षा के दिशा में अद्वितीय काम कर रहें हैं। पर यदि वह एक काम और कर दें तो शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार हो जाएगा।’
“मुख्य सचिव का बच्चा हो या चपरासी का, विधायक का बच्चा हो या मंत्री का, सरकार से वेतन उठाने वालों के बच्चे सरकारी स्कुल में ही पढेगें।”
अक्सर सवाल उठते रहता है कि अगर सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था अच्छी है, तो वहां क्यों नहीं पढ़ते हैं विधायकों, मंत्रियों और अफसरों के बच्चे? इस प्रकार के बयान पहले भी आते रहे है, जिससे विधायक, मंत्री, और सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने की मांग की जाती है।
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